बागवानी का अर्थ (Meaning of gardening) :
या हम दूसरे शब्दो मे कहे तो बागवानी पौधों को उगाने व उनकी देख रेख करने की क्रिया को कहते हैं।
बागवानी क्या होता है (what is gardening) :
बागवानी के जनक (father of horticulture) :
क्षेत्र (Area) :
फल और सब्जी उत्पादन => फलों और सब्जियों के उत्पादन में बागवानी महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो जरूरी पोषक तत्वों और विटामिनों के समृद्ध स्रोत हैं। बागवानी विशेषज्ञ उच्च गुणवत्ता वाली और रोग प्रतिरोधी फसलों का उत्पादन करने के लिए ग्राफ्टिंग, छंटाई और सिंचाई जैसी विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं।
फ्लोरीकल्चर => फूलों की खेती बागवानी का सबसे महत्वपूर्ण अभिन्न भाग है। इसमें इनडोर के साथ - साथ आउटडोर दोनों उपयोगों के लिए कटे हुए फूलों, पॉटेड पौधों और सजावटी पत्ते का उत्पादन शामिल है। फ्लोरीकल्चर एक बहुत ही विशिष्ट क्षेत्र है जिसके लिए फिजियोलॉजी प्लांट, ब्रीडिंग और प्रचार प्रसार के ज्ञान की जरूरत होती है।
लैंडस्केप हॉर्टिकल्चर => लैंडस्केप हॉर्टिकल्चर पार्कों, बगीचों और अन्य मनोरंजक वाले क्षेत्रों जैसे कि बाहरी स्थानों को डिजाइन और प्रबंधित करने की कला है। बागवान अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ सौंदर्यप्रद रूप से मनभावन परिदृश्य बनाने के लिए करते हैं।
महत्त्व (importance) :
बागवानी पौष्टिक भोजन प्रदान करने, पर्यावरण को अधिक सुंदर बनाने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बागवानी के कुछ प्रमुख लाभ हैं:
खाद्य उत्पादन => फलों, सब्जियों और अन्य फसलों के उत्पादन के लिए बागवानी आवश्यक है जो मानव उपभोग के लिए आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन प्रदान करते हैं। बढ़ती आबादी के साथ भोजन की मांग भी बढ़ रही है और इस मांग को पूरा करने में बागवानी पूरी समृद्धि के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
पर्यावरण संरक्षण => बागवानी जैविक आधारित खेती, जल संरक्षण और मिट्टी संरक्षण जैसे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण के संरक्षण में मदद करती है। लुप्तप्राय पौधों की प्रजातियों के संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने में बागवानी विशेषज्ञ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बागवानी में है भविष्य (future in horticulture) :
बागवानी एक ऐसी क्रिया है जिसमें कभी भी बड़ी पूंजी की जरूरत ही नहीं होती है। इसकी शुरुआत एक छोटे निवेश से भी की जा सकती है। आप अपने छत से भी इसकी शुरुआत कर सकते है, निजी फॉर्महाउस, व्यावसायिक पौधशाला, आपका बगीचा एक आदर्श स्थान हो सकते है।
फूलों की पैदावार बढ़ाकर, बीज का उत्पादन बढ़ाकर और सब्जियों की उपज बढ़ाकर, ग्रीन डेकोर आदि आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते है। सजावटी गमलों में फूल आदि की मांग काफी बढ़ी है।
आजकल अधिकतर सौंदर्य और गिफ्ट की दुकानों में इसकी चमक देखी जा सकती है। सजावटी फूल शीशे के पॉट में बहुत आकर्षक लगते है और इन्हें शांति के लिए भी उपयोग किया जाता है। जिसके कारण अधिकतर लोग इकोफ्रेंडली गिफ्ट और बुके को बढ़ावा दे रहे हैं।
प्रशिक्षण (Training) :
अगर आप किसी भी चीज में प्रशिक्षण लेते हैं तो वह प्रशिक्षण आपकी कार्यकुशलता को गति देता है। फिर वह चाहे प्रशिक्षण बागबानी का ही क्यों न हो। बागवानी करना अब केवल एक विशेष जाति का काम नहीं रह गया है। पहले के समय में माली और मालिन को इसका काम सौंपा गया था, मगर वक्त बदलने के साथ इसमें युवाओं की बढ़ती रुचि को देखते हुए कई ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने इसमें प्रशिक्षण देना शुरू किया, बल्कि उनके लिए रोजगार के तमाम अवसर खोल दिए। इन प्रशिक्षण कार्यालयों में युवा लगातार आवेदन कर रहे है और अपने भविष्य की रूपरेखा तय कर रहे है।
कुछ प्रमुख संस्थान :
◆ देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब
◆ नालंदा कॉलेज ऑफ हार्टिकल्चर, नालंदा
◆ श्रीराम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, महाराष्ट
◆ हार्टिकल्चरल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, तमिलनाडु
◆ आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
◆ पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
◆ राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB- National Horticulture Board) की स्थापना भारत सरकार(Government of India) द्वारा अप्रैल, 1984 में हुई। यह डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, तत्कालीन सदस्य (कृषि), योजना आयोग और भारत सरकार की अध्यक्षता में ‘‘विनाशवान कृषि उत्पादों पर समूह’’ की सिफ़ारिशों के आधार पर की गई थी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है तथा इसका मुख्यालय गुरूग्राम में स्थित है।
बागवानी करने से होने वाले लाभ (Benefits of gardening) :
◆ एक्सरसाइज हो जाती है :
◆ एकाग्रता बढ़ती है :
◆ बुरी आदतों से छुटकारा मिलता है :
◆ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है :
◆ ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है :
◆ बच्चों के लिए गार्डनिंग लाभदायक है :
◆ ताजी सब्जियां खाने को मिलती हैं :
◆ आत्मविश्वास बढ़ता है :
भारत में बागवानी उपलब्धियां (Horticultural Achievements in India) :
◆ यह दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
◆ शीर्ष उत्पादक देश आम, केला, नारियल, काजू, पपीता, अनार आदि हैं।
◆ देश मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।
◆ ताजे फल और सब्जियों का निर्यात मूल्य से 14 प्रतिशत और प्रसंस्कृत फल और सब्जियों में 16.27 प्रतिशत रहा है।
◆ बागवानी पर उचित ध्यान देने से उत्पादन और निर्यात में वृद्धि हुई। बागवानी उपज में 7 गुना वृद्धि ने पोषण सुरक्षा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि की।
◆ कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधनों में 9240 फल, 25,400 वनस्पति और कंद की फसलें, 25,800 पौधे और मसाले, 6,250 औषधीय और सुगंधित पौधे, 5300 सजावटी पौधे और 984 मशरूम शामिल हैं।
◆ 1,596 उच्च उत्पादक किस्मों और बागवानी फसलों (फल - 134, सब्जियां - 485, सजावटी पौधे - 115, रोपण फसलें और मसाले - 467, औषधीय और सुगंधित पौधे - 50 और मशरूम - 5) के संकर विकसित किए गए थे। परिणामस्वरूप, केले, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
◆ निर्यात के लिए अमरूद, आम, अंगूर, केला, संतरा, चीकू, लीची, पपीता, अनानास, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, फूलगोभी, सेब आदि की गुणवत्ता वाली किस्में विकसित की गईं।
◆ आम, अमरूद, बेर और आंवला के पुराने बागों के नवीनीकरण की तकनीक विकसित की गई।
◆ सूक्ष्म सिंचाई विधि और निषेचन तकनीक द्वारा कई बागवानी फसलों के लिए पानी और पोषण दक्षता बढ़ाई गई।
◆ औषधीय पौधों जैसे सफेद मुसली, लेमन ग्रास, सेना पामारोसा आदि के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों का विकास किया गया।
◆ फल हार्वेस्टर, ग्रेडिंग और कटाई मशीन, ड्रायर्स इत्यादि विकसित करके, फ़सल की कटाई और फ़सल की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए फ़ार्म हार्वेस्ट को बढ़ाने के लिए फ़ार्म मशीनरी का उपयोग किया गया।
◆ फलों और सब्जियों के खेत भंडारण के लिए कम लागत वाले पर्यावरण के अनुकूल शांत कक्ष विकसित किया गया है।
◆ आलू, अंगूर, मसालों में जर्मप्लाज्म संसाधनों, कीटों और रोगों पर डेटाबेस, सूचना और विशेषज्ञ पद्धति विकसित की गई है।
◆ नारियल, आम, अमरूद, आंवला, लीची, आलू, कंद फसलों, मशरूम आदि के कई मूल्य वर्धित उत्पाद विकसित किए गए हैं।
◆ प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए फसल विशिष्ट प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रम संबंधित संस्थानों / निदेशालयों /राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रों द्वारा चलाए जा रहे हैं।
भारत में बागवानी संभावनाएँ और चुनौतियाँ (Horticulture Opportunities and Challenges in India) :
भारत में, लगभग 25-30 प्रतिशत फल और सब्जियां कटाई के बाद बेकार हो जाती हैं, जिसके कारण उन्हें उचित बाजार मूल्य नहीं मिल पाता है। इस क्षति को रोकने के लिए उचित भंडारण की सुविधा, विशेष रूप से कोल्ड स्टोरेज का होना आवश्यक है। भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। फसल कटाई के बाद और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी के कारण भारत को इनका आयात करना पड़ता है। प्रसंस्करण सुविधाओं के विस्तार से प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों के आयात को कम किया जा सकता है। उनके उत्पादन क्षमता की तुलना मे केवल बागवानी फसलों की प्रसंस्करण इकाइयों की संख्या बहुत ही कम है। उनकी संख्या बढ़ाने के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए।
बागवानी फसलें जैसे सेब, कफाल, माल्टा, संतरा, बुरान आदि बहुत सी फसलों का उत्पादन पहाड़ी क्षेत्रों मे किया जाता है, विशेषकर उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों मे, लेकिन सड़क और बाजार के साथ उचित संपर्क नहीं होने के कारण किसानों को सही कीमत नही मिल पाती है। पौष्टिक बागवानी फसलों के विकास और खपत को बढ़ावा देना हमारे देश को पोषण सुरक्षा की ओर ले जा सकता है।
बागवानी खेती को अधिक लाभदायक बनाने के लिए किसानों को पारंपरिक टाइप की खेती के जगह गहन बागवानी को ही अपनाना चाहिए। इसके लिए वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित भिन्न-भिन्न फलों की बौनी किस्मों का उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि आम्रपाली, अरुणा और अर्क, सेब का लाल चीफ, लाल स्पर आदि।
बागवानी फसलों की विशेषताएं (Features of horticultural crops) :
◆ बागवानी फसलों को घर के गार्डन में, एक गमले पर( छोटा हो या बड़ा) भी उगा सकते हैं और सैकड़ों बीघा जमीन पर भी इनकी खेती आसानी से कर सकते हैं।
◆ ये ऐसे पौधे होते हैं जो आर्थिक लाभ, सुंदरता और सुंदरीकरण के लिए भी उगाए जाते हैं।
◆ खासकर छोटे या बड़े शहरों में तो इन पौधों को केवल और केवल सजावट और सुंदरता के लिए ही उगाया जाता है। जैसे – गार्डन में लगने वाले पौधे।
◆ बागवानी फसलों का उपयोग मानव आहार मे विविधता लाने के लिए और उसके आस पास के वातावरण को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
◆ कुछ बागवानी फसलें तुरंत तैयार और तुरंत खाने वाली होती है। जैसे – फ्रूट्स आदि।
◆ अगर हम पौधे के भाग की बात करें तो, अधिकांश पौधे को अनाज और बीज के लिए उगाया जाता है जबकि बागवानी फसलों को फल, फूल, तना और जड़ के लिए उगाया जाता है।
निष्कर्ष (conclusion) :
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