Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

Introduction of gardening

बागवानी का अर्थ (Meaning of gardening) :

हॉर्टिकल्चर (Horticulture) शब्द लेटिन भाषा के दो शब्दो से मिलकर बना हुआ है। पहला शब्द है "Hortus" जिसका अर्थ है "Garden" और दूसरा शब्द है "Culture या Cultura" जिसका अर्थ है फसलों व पौधों की खेती।

नोट => "Horticulture" को हिंदी मे उद्यान विज्ञान और बागवानी के नाम से भी जानते है। 

या हम दूसरे शब्दो मे कहे तो बागवानी पौधों को उगाने व उनकी देख रेख करने की क्रिया को कहते हैं।





बागवानी क्या होता है (what is gardening) :

यह उद्यान विज्ञान का ही एक भाग है। इसमें फूलों और अन्य पौधों को सजावट के लिये, जड़ वाले, पत्तेदार व  फलदार पौधें और जड़ी-बूटीयाँ खाने के लिये, और अन्य पौधे रंगों, औष्धियों और श्रृंगार-सामग्रियों के लिये उगाये जाते हैं। इसके साथ साथ बागवानी में संभावनाओं और उसके गुणवत्ता को बेहतर बनाने का कार्य भी किया जाता है। बागवानी को काफी लोग  भविष्य की खेती भी कहते है जो किसानों आय के साथ-साथ जीवनस्तर में भी सुधार करता है।


Introduction of gardening

परिभाषा (Definition) :

"बागवानी कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसमें फल, फूल, सब्जी उत्पादन तथा फल संरक्षण का सम्पूर्ण अध्ययन किया जाता है उद्यान विज्ञान कहलाता है।"

           बागवानी को वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक दोनों उद्देश्यों के लिए पौधों को उगाने और प्रबंधित करने के विज्ञान और कला के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें फलों, फूलों सब्जियों, और अन्य पौधों के रोपण, खेती, कटाई, भंडारण और विपणन जैसी विभिन्न गतिविधियाँ शामिल हैं। 

            बागवानी एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें कई विशिष्ट शाखाएं शामिल हैं। वैसे तो मुख्य रूप से बागवानी या उद्यान विज्ञान को चार भागों मे विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है..... 

1=> पोमोलॉजी (Pomology) -  फलों की खेती
2=> ओलेरीकल्चर (Olericulture-  सब्जी की खेती
3=> फ्लोरीकल्चर (Floriculture-  फूलों की खेती
4=> लैंडस्केप (Landscapपार्कों, उद्यानों और अन्य बाहरी स्थानों का प्रबंधन

इसके अतिरिक्त दो और शाखाएं है जो इस प्रकार है.....

5=>  सजावटी बागवानी (Ornamental gardening)
6=>  फल संरक्षण (fruit preservation)





उत्पति (origin) :

बागवानी शब्द की उत्पति ग्रीक के शब्दों से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है उद्यान की खेती। बागवानी में फलों, सब्जियों, मशरूम, कट फूलों, सजावटी फूलों और पौधों, मसालों, औषधियों फसलों का प्रमुख स्थान है जिससे किसान को फायदा होता है।





बागवानी के जनक (father of horticulture) :

"एम. एच. मैरीगौड़ा" को भारतीय बागवानी का जनक कहा जाता है।





क्षेत्र (Area) :

बागवानी का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है और यह भोजन, सजावटी पौधों, आयुर्वेदीय पौधों और अन्य संबंधित उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक है। बागवानी के कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं :

फल और सब्जी उत्पादन =>  फलों और सब्जियों के उत्पादन में बागवानी महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो जरूरी पोषक तत्वों और विटामिनों के समृद्ध स्रोत हैं। बागवानी विशेषज्ञ उच्च गुणवत्ता वाली और रोग प्रतिरोधी फसलों का उत्पादन करने के लिए ग्राफ्टिंग, छंटाई और सिंचाई जैसी विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं।

फ्लोरीकल्चर =>  फूलों की खेती बागवानी का सबसे महत्वपूर्ण अभिन्न भाग है। इसमें इनडोर के साथ - साथ आउटडोर दोनों उपयोगों के लिए कटे हुए फूलों, पॉटेड पौधों और सजावटी पत्ते का उत्पादन शामिल है। फ्लोरीकल्चर एक बहुत ही विशिष्ट क्षेत्र है जिसके लिए फिजियोलॉजी  प्लांट, ब्रीडिंग और प्रचार प्रसार के ज्ञान की जरूरत होती है।

लैंडस्केप हॉर्टिकल्चर =>  लैंडस्केप हॉर्टिकल्चर पार्कों, बगीचों और अन्य मनोरंजक वाले क्षेत्रों जैसे कि बाहरी स्थानों को डिजाइन और प्रबंधित करने की कला है। बागवान अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ सौंदर्यप्रद रूप से मनभावन परिदृश्य बनाने के लिए करते हैं।

पादप प्रजनन =>  पादप प्रजनन का अर्थ यह होता है कि पौधों के द्वारा नए पौधों को उगाना या उत्पत्ति और साथ मे पौधों का भी विकास करना। जिससे वे अपनी प्रजनन की स्वयं नियंत्रित प्रक्रिया के माध्यम से नए पौधों को उत्पन्न कर सकते हैं। पादप प्रजनन का मुख्यतः यह उद्देश्य होता है कि वे पादपों की जीनेटिक संरचना में सुधार करके बेहतर गुणवत्ता और उत्पादकता प्राप्त कर सकें। उद्यान विज्ञानी इस काम के लिए विभिन्न तरीकों का अध्ययन करते हैं, जैसे कि पादपों के गुणवत्ता संवर्धन के लिए अद्भुत जीनेटिक उपायों का विकास, फसलों की सुरक्षा के सम्बंध मे और उनके विकास की गति को बढ़ाने के उपायों का प्रयोग, और फसलों की संक्रमणों से बचाव के नये तरीकों का अध्ययन करते हैं।

         पादपों का प्रजनन मुख्यत: पौधों के विकास, पुनर्निर्माण, और पौधों के प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

          इसके अलावा, उद्यान विज्ञानी फसलों की नई प्रजातियों को विकसित करके उनके रोग प्रतिरोधी और साथ ही पौष्टिक गुणों में सुधार लाने के लिए भी कई तरीकों से काम करते हैं। इसका मकसद यह भी है कि किसानों को बेहतर से बेहतर और जीवन्तिक फसलें प्रदान की जा सकें, जिससे उनकी आय और खाद्य सुरक्षा में सुधार हो सके। इसलिए, उद्यान विज्ञानी फसलों की जीनेटिक संरचना और प्रजनन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे किसानों को बेहतर और उत्पादक फसलें मिल सकती हैं।




महत्त्व (importance) :

बागवानी पौष्टिक भोजन प्रदान करने, पर्यावरण को अधिक सुंदर बनाने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बागवानी के कुछ प्रमुख लाभ हैं:

खाद्य उत्पादन =>  फलों, सब्जियों और अन्य फसलों के उत्पादन के लिए बागवानी आवश्यक है जो मानव उपभोग के लिए आवश्यक पोषक तत्व और विटामिन प्रदान करते हैं। बढ़ती आबादी के साथ भोजन की मांग भी बढ़ रही है और इस मांग को पूरा करने में बागवानी पूरी समृद्धि के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

पर्यावरण संरक्षण =>  बागवानी जैविक आधारित खेती, जल  संरक्षण और मिट्टी संरक्षण जैसे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण के संरक्षण में मदद करती है। लुप्तप्राय पौधों की प्रजातियों के संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने में बागवानी विशेषज्ञ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।





बागवानी में है भविष्य (future in horticulture) :

बागवानी एक ऐसी क्रिया है जिसमें कभी भी बड़ी पूंजी की जरूरत ही नहीं होती है। इसकी शुरुआत एक छोटे निवेश से भी की जा सकती है। आप अपने छत से भी इसकी शुरुआत कर सकते है, निजी फॉर्महाउस, व्यावसायिक पौधशाला, आपका बगीचा एक आदर्श स्थान हो सकते है। 

फूलों की पैदावार बढ़ाकर, बीज का उत्पादन बढ़ाकर और सब्जियों की उपज बढ़ाकर, ग्रीन डेकोर आदि आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते है। सजावटी गमलों में फूल आदि की मांग काफी बढ़ी है। 

आजकल अधिकतर सौंदर्य और गिफ्ट की दुकानों में इसकी चमक देखी जा सकती है। सजावटी फूल शीशे के पॉट में बहुत आकर्षक लगते है और इन्हें शांति के लिए भी उपयोग किया जाता है। जिसके कारण अधिकतर लोग इकोफ्रेंडली गिफ्ट और बुके को बढ़ावा दे रहे हैं।





प्रशिक्षण (Training) :

अगर आप किसी भी चीज में प्रशिक्षण लेते हैं तो वह प्रशिक्षण आपकी कार्यकुशलता को गति देता है। फिर वह चाहे प्रशिक्षण बागबानी का ही क्यों न हो। बागवानी करना अब केवल एक विशेष जाति का काम नहीं रह गया है। पहले के समय में माली और मालिन को इसका काम सौंपा गया था, मगर वक्त बदलने के साथ इसमें युवाओं की बढ़ती रुचि को देखते हुए कई ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने इसमें प्रशिक्षण देना शुरू किया, बल्कि उनके लिए रोजगार के तमाम अवसर खोल दिए। इन प्रशिक्षण कार्यालयों में युवा लगातार आवेदन कर रहे है और अपने भविष्य की रूपरेखा तय कर रहे है।

 

कुछ प्रमुख संस्थान :

  देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब

  नालंदा कॉलेज ऑफ हार्टिकल्चर, नालंदा

  श्रीराम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, महाराष्ट

  हार्टिकल्चरल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, तमिलनाडु

  आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर

  पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना

  राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड


राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB- National Horticulture  Board)  की  स्थापना  भारत    सरकार(Government of India) द्वारा अप्रैल, 1984 में हुई। यह डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, तत्कालीन सदस्य (कृषि), योजना आयोग और भारत सरकार की अध्यक्षता में ‘‘विनाशवान कृषि उत्पादों पर समूह’’ की सिफ़ारिशों के आधार पर की गई थी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है तथा इसका मुख्यालय गुरूग्राम में स्थित है।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB - National  Horticulture boardके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए संस्थान की बेवसाइट www.nhb.gov.in पर विजिट(visit) कर सकते हैं। 





बागवानी करने से होने वाले लाभ (Benefits of gardening) :

बागवानी करने से ताजी(fresh) सब्जियां और अन्य पैदावार तो मिलती ही हैं, साथ मे ही पेड़-पौधों और प्राकृतिक वातावरण के संपर्क में रहने से मन का तनाव भी कम होता है, शरीर की कसरत भी हो जाती है। गार्डनिंग एक बेहद मजेदार काम है, जिसे करने के केवल फायदे ही फायदे होते हैं और इसे बच्चे से लेकर बूढें लोगों को भी करने की सलाह दी जाती है। तो आइये बागवानी (गार्डनिंग) करने से होने वाले लाभ के बारे में जानते है :



  एक्सरसाइज हो जाती है :

गार्डनिंग करने से शरीर की अच्छी कसरत हो जाती है। गार्डन में मिट्टी की खुदाई, गुड़ाई करना, मिट्टी तैयार  करना, पौधों को पानी देना आदि ऐसी एक्टिविटी हैं, जिनसे शरीर की एक्सरसाइज होती है।



  एकाग्रता बढ़ती है :

बागवानी बहुत ही मजेदार काम है। गार्डन में पौधों को पानी देना, पौधों की छटाई करना, खाद डालना, हार्वेस्टिंग करना आदि कामों में सभी लोगो का मन आसानी से लग जाता है। कई अध्यन(study) में भी यह दावा भी किया गया है कि घर पर बागवानी करने से एकाग्रता (concentration) भी बढ़ती है और मन को शांति मिलती है। 



  बुरी आदतों से छुटकारा मिलता है :

खराब आदतों से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को नशामुक्ति केंद्र या रिहैबिलिटेशन सेंटर में जाना पड़ता  हैं। ये सेंटर ज्यादातर प्राकृतिक जगहों के बीच में बनाये जाते हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि हरियाली और पेड़-पौधे मन में सकारात्मक विचार  उत्पन्न करते हैं, जिससे हमें अपनी सारी खराब आदतों को छोड़ने में काफी हद तक मदद मिलती है।



  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है :

हो सकता है सामान्य तौर पर आप रोजाना धूप में न बैठते हों, लेकिन बगीचे में कार्य करते समय आपको भी पर्याप्त धूप मिल जाती है। इससे हमारे शरीर में विटामिन डी की पूर्ती होती है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।



  ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है :

पेड़-पौधों के बीच समय बिताने से मन खुश रहता है, तनाव कम होता है और इन वजह से ही ब्लड प्रेशर भी कण्ट्रोल रहता है। गार्डनिंग के काम करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम होता है और दिल बिल्कुल स्वस्थ रहता है।



  बच्चों के लिए गार्डनिंग लाभदायक है :

यदि आप अपने बच्चों को गार्डनिंग सिखाते हैं, तो इससे उन्हें मोबाइल और गैजेट्स से दूर रखने में काफी हद तक मदद मिलती है। मिट्टी के संपर्क में आने से उनका यानी बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी मजबूत होता है और उन बच्चों की पेड़-पौधों यानी कि गार्डनिंग के बारे में जानकरी बढ़ती है।



  ताजी सब्जियां खाने को मिलती हैं :

घर पर बागवानी करने से आपको ताज़ी सब्जी, हर्ब्स  या फल खाने मिल जाते हैं। घर पर सब्जी या अन्य पौधे रासायनिक कीटनाशकों और खाद के बिना उगाये जाते हैं, तो इससे हमें सब्जियां भी स्वस्थ मिलती हैं, जिनके सेवन से हम भी स्वस्थ रहते हैं।



  आत्मविश्वास बढ़ता है :

जब आप काफी परिश्रम करके पेड़-पौधे लगाते हैं, उनकी लगातार देखभाल करते हैं और फिर जब उन पौधों मे फल या फूल लगते हैं और जब आप उनकी तुड़ाई करते हैं, तब मन में स्वयं ही आत्मविश्वास की भावना पैदा होती है।




भारत में बागवानी उपलब्धियां (Horticultural Achievements in India) :

  यह दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

 शीर्ष उत्पादक देश आम, केला, नारियल, काजू,  पपीता, अनार आदि हैं।

  देश मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।

 ताजे फल और सब्जियों का निर्यात मूल्य से 14 प्रतिशत और प्रसंस्कृत फल और सब्जियों में 16.27  प्रतिशत रहा है।

 बागवानी पर उचित ध्यान देने से उत्पादन और निर्यात में वृद्धि हुई। बागवानी उपज में 7 गुना वृद्धि ने पोषण सुरक्षा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि की।

  कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधनों में 9240 फल, 25,400 वनस्पति और कंद की फसलें, 25,800 पौधे  और मसाले, 6,250 औषधीय और सुगंधित पौधे, 5300 सजावटी पौधे और 984 मशरूम शामिल हैं।

 1,596 उच्च  उत्पादक किस्मों  और बागवानी फसलों  (फल - 134, सब्जियां - 485, सजावटी पौधे - 115, रोपण फसलें और मसाले - 467, औषधीय और सुगंधित पौधे - 50 और मशरूम - 5) के संकर विकसित किए गए थे। परिणामस्वरूप, केले, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

  निर्यात के लिए अमरूद, आम, अंगूर, केला, संतरा,   चीकू, लीची, पपीता, अनानास, प्याज, आलू, टमाटर,  मटर, फूलगोभी, सेब आदि की गुणवत्ता वाली किस्में   विकसित की गईं।

  आम, अमरूद, बेर और आंवला के पुराने बागों के   नवीनीकरण की तकनीक विकसित की गई।

  सूक्ष्म सिंचाई विधि और निषेचन तकनीक द्वारा कई  बागवानी फसलों के लिए पानी और पोषण दक्षता बढ़ाई गई।

 औषधीय पौधों जैसे सफेद मुसली, लेमन ग्रास,  सेना पामारोसा आदि के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों का  विकास किया गया।

 फल हार्वेस्टर, ग्रेडिंग और कटाई मशीन, ड्रायर्स  इत्यादि विकसित करके, फ़सल की कटाई और फ़सल  की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए फ़ार्म हार्वेस्ट को बढ़ाने के लिए फ़ार्म मशीनरी का उपयोग किया गया।

  फलों और सब्जियों के खेत भंडारण के लिए कम   लागत वाले पर्यावरण के अनुकूल शांत कक्ष विकसित   किया गया है।

  आलू, अंगूर, मसालों में जर्मप्लाज्म संसाधनों, कीटों  और रोगों पर डेटाबेस, सूचना और विशेषज्ञ पद्धति विकसित की गई है।

  नारियल, आम, अमरूद, आंवला, लीची, आलू, कंद  फसलों, मशरूम आदि के कई मूल्य वर्धित उत्पाद  विकसित किए गए हैं।

  प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए फसल विशिष्ट प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रम संबंधित संस्थानों / निदेशालयों /राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रों द्वारा चलाए जा रहे हैं।




भारत में बागवानी संभावनाएँ और चुनौतियाँ (Horticulture Opportunities and Challenges in India) :

भारत में, लगभग 25-30 प्रतिशत फल और सब्जियां कटाई के बाद बेकार हो जाती हैं, जिसके कारण उन्हें उचित बाजार मूल्य नहीं मिल पाता है। इस क्षति को रोकने के लिए उचित भंडारण की सुविधा, विशेष रूप से कोल्ड स्टोरेज का होना आवश्यक है। भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। फसल कटाई के बाद और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी के कारण भारत को इनका आयात करना पड़ता है। प्रसंस्करण सुविधाओं के विस्तार से प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों के आयात को कम किया जा सकता है। उनके उत्पादन क्षमता की तुलना मे केवल बागवानी फसलों की प्रसंस्करण इकाइयों की संख्या बहुत ही कम है। उनकी संख्या बढ़ाने के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए।

       बागवानी फसलें जैसे सेब, कफाल, माल्टा, संतरा, बुरान आदि बहुत सी फसलों का उत्पादन पहाड़ी क्षेत्रों मे किया जाता है, विशेषकर उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों मे, लेकिन सड़क और बाजार के साथ उचित संपर्क नहीं होने के कारण किसानों को सही कीमत नही मिल पाती है। पौष्टिक बागवानी फसलों के विकास और खपत को बढ़ावा देना हमारे देश को पोषण सुरक्षा की ओर ले जा सकता है।

     बागवानी खेती को अधिक लाभदायक बनाने के लिए किसानों को पारंपरिक टाइप की खेती के जगह गहन बागवानी को ही अपनाना चाहिए। इसके लिए वैज्ञानिकों  के  द्वारा   विकसित  भिन्न-भिन्न   फलों    की बौनी किस्मों का उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि आम्रपाली, अरुणा और अर्क, सेब का लाल चीफ, लाल स्पर आदि।




बागवानी फसलों की विशेषताएं (Features of horticultural crops) :

   बागवानी फसलों को घर के गार्डन में, एक गमले पर( छोटा हो या बड़ा) भी उगा सकते हैं और सैकड़ों बीघा जमीन पर भी इनकी खेती आसानी से कर सकते हैं।

  ये ऐसे पौधे होते हैं जो आर्थिक लाभ, सुंदरता और सुंदरीकरण   के लिए भी उगाए जाते हैं।

खासकर छोटे या बड़े शहरों में तो इन पौधों को  केवल और केवल सजावट और सुंदरता के लिए ही उगाया जाता है। जैसे – गार्डन में लगने वाले पौधे।

बागवानी फसलों का उपयोग मानव आहार मे विविधता लाने के लिए और उसके आस पास के वातावरण को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

कुछ बागवानी फसलें तुरंत तैयार और तुरंत खाने वाली होती है। जैसे – फ्रूट्स  आदि।

अगर हम पौधे के भाग की बात करें तो, अधिकांश पौधे को अनाज और बीज के लिए उगाया जाता है जबकि बागवानी फसलों को फल, फूल, तना और जड़ के लिए उगाया जाता है।




निष्कर्ष (conclusion) : 

बागवानी फसलें पर्यावरण को स्वच्छ रखने मे मदद करती है। इन फसलों के क्षेत्र मे वृद्धि करके वायुमंडल मे ऑक्सीजन और कार्बन डाइ-ऑक्साइड जैसी गैसों का संतुलन बनाए रखा जाता है। सजावटी पौधों और फलों के पेड़ शहर, गांव और गैर कृषि क्षेत्रों मे लगाए जा सकते हैं। उनका रोपण जैव विविधता को सबसे ज्यादा बढ़ावा देता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में मिट्टी का कटाव जारी है। ऐसे मे जिन क्षेत्रों मे मिट्टी का कटाव जारी है वहाँ पर मिट्टी के कटाव को बचाने के लिए बागवानी फसलें उगाई जा सकती हैं। इसलिए बागवानी फसलें मृदा संरक्षण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अब कई सब्जियों के उत्पादन मे जैविक कृषि का उपयोग किया जा रहा है।

        रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना उगाई जाने वाली फसलें मनुष्य और पर्यावरण दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। अगले 5 वर्षों मे किसान आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने मे बागवानी कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बड़े व्यापक स्तर पर बढ़ेंगे। लगातार और अथक प्रयासों से बागवानी के क्षेत्र मे भारत का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। 

            उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपको काफी अच्छा लगा होगा। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हमारी साईट gardenglance.blogspot.com पर विजिट कर सकते हैं। इस आर्टिकल से सम्बंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, कृपया कमेंट में जरूर बताएं।





 

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad

Below Post Ad