Overwatering Plants Effects And Ways To Save Plants
पौधों में ओवरवाटरिंग क्या होता है (What Is Overwatering In Plants) :-
सांस लेने के लिए पौधे की जड़ें मिट्टी/मृदा में उपस्थित वायु से ऑक्सीजन प्राप्त करती हैं लेकिन जब पौधा लगे गमले मे या बगीचे की मिट्टी/मृदा में जरूरत से ज्यादा जल दिया जाता है, तो मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और ऑक्सीजन की कमी से पौधे मुरझाने लगते हैं या नष्ट हो जाते हैं, इसी को ओवरवाटरिंग कहते हैं। यदि आप पौधों में जल की अधिकता अर्थात ओवरवाटरिंग के लक्षणों को जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को आगे तक पढ़ते रहें।-
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पौधों में बहुत अधिक पानी देने के लक्षण (Signs Of Over watering In Plants) :-
◆ मिट्टी में जलभराव के कारण पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं जिसके फलस्वरूप पौधा सूखने या मुरझाने लगता है।
◆ जरुरत से ज्यादा जल देने से पौधों में फफूंद जैसे घातक रोग और कीट लगने लगते हैं।
◆ जरूरत से ज्यादा जल देने से मिट्टी चिपचिपी और दलदली हो जाती है, जिससे पौधों का विकास/ग्रोथ रुक सकता है।
◆ पौधे से पत्तियां अलग होने लगती हैं या गिरने लगती है।
◆ घर के बगीचे यानी होम गार्डेन में लगे पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं।
◆ पत्तियों का रंग गहरा हरा न होकर हल्का हो जाना।
पौधों को ओवरवाटरिंग से कैसे बचाया जाए (How To Avoid Over Watering In Plants) :-
पौधे लगे बगीचे या गमले की मिट्टी में जलभराव या जल की अधिकता को रोकने के कई सारे तरीके हैं, आइये जानते हैं पौधों में पानी की अधिकता या जलभराव को रोकने अर्थात ओवरवाटरिंग से बचने के कुछ महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में। जो इस प्रकार है.....
★ अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करें (Choose Good Quality Soil For Plants) :-
★ जल निकासी के लिए गमलों या ग्रो बैग में हो ड्रेनेज होल (Drilling Holes In Pots For Drainage) :-
यदि आप ओवर वाटरिंग या जलभराव से अपने पौधों को बचाना चाहते हैं, तो गमलों में पौधों को लगाने से पहले यह चीज जरूर जांच लें, कि गमले में से अतिरिक्त जल बाहर निकलने के लिए गमले या ग्रो बैग की तली में ड्रेनेज होल या जल निकासी छिद्र या छेद जरूर हो। इस तरीके को अपनाकर आप अपने गमले या ग्रो बैग मे लगे पौधों को ओवर वाटरिंग या जलभराव के खतरे से बचा सकते हैं। अतिरिक्त जल निकासी वाले गमले या ग्रो बैग खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।
★ पौधों को जल देने का सही तरीका चुनें (Watering Plants When Soil Is Dry) :-
पौधों पर जल डालने से पहले पौधे की मिट्टी/मृदा को हाथ से छू कर चेक करें। अगर मिट्टी/मृदा सूखी (dry) हो तो गमले में लगे पौधों में जल डालें और यदि मिट्टी/मृदा में पहले से ही पर्याप्त नमी हो तो मिट्टी/मृदा में जल डालने से बचे। मिट्टी/मृदा की नमी को चेक कर आप पौधे को ओवर वाटरिंग से होने वाली हानियों से बचाया जा सकता है व इस तरीके से पौधे में जल देने से पौधे की जड़ें अच्छे से विकसित या ग्रोथ होती हैं। पौधे में जल डाले तो बौछार के रूप में डालें न की तेज धार से। इस तरीके से पौधों में जल देने से मिट्टी/मृदा में पानी जमा नहीं होता व बड़ी आसानी से मिट्टी द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। पौधों को जल देते समय मौसम का भी विशेष ध्यान रखें, क्योंकि ठण्ड या जाड़े के मौसम में हवा में आद्रता होने की वजह से पौधों को कम जल की जरूरत होती है।
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★ पौधों को तेज बारिश से बचा कर रखे (Protect Potted Plants From Heavy Rain) :-
वैसे तो बारिश का पानी पौधों के विकास के लिए अच्छा माना जाता है, मगर वही जल यदि जरूरत से अधिक हो जाए, तो पौधे नष्ट भी हो सकते हैं। तेज बारिश से पौधों को बचाने के लिए आप निम्न तरीको को अपनाकर अपने पौधों को बचा सकते हैं --
◆ गमले या ग्रो बैग में ड्रेनेज के लिए गमले के नीचे जल निकासी छिद्र होना ही चाहिए।
◆ पौधों को उचित जल निकासी वाली मिट्टी में लगाएं।
◆ गमले या बगीचे में लगे पौधों की मल्चिंग करें, जिससे तेज बारिश भी पौधे की मिट्टी/मृदा को बहाकर अपने साथ न ले जा पाए।
नोट – बारिश के मौसम में पौधों के ऊपर ग्रीन शेड नेट से छाया बना दें, जिससे कि गमले में लगे पौधों को बारिश के तेज पानी से बचाया जा सके।
★ पौधे को छाया में रखें (Keep Plants In Shade) :-
पौधा यदि फुल सनलाइट/सूरज की रोशनी में उगने वाला है तब भी ओवरवाटर्ड पौधे को उठाकर छाँव में रख दें, क्योंकि जब पौधे को जरूरत से ज्यादा जल दे दिया जाता है, तब पौधे की जड़ें जल को पौधे के ऊपरी हिस्सों तक नही पहुंचा पाती है जिसके कारण यदि पौधा धूप में रखा होता है तो पौधे की पत्तियां सूखने लगती हैं। इसीलिए पौधे को सूखने से बचाने के लिए छाँव या शेड का इस्तेमाल जरूर करें।
ज्यादा जल देने से खराब हुए प्लांट्स को ठीक कैसे करें (How To Fix Plants Damaged From Over Watering) :-
यदि आपके पौधे में ऊपर बताये गए जल की अधिकता या जलभराव के लक्षण दिख रहे हैं, तो आप पौधों को स्वस्थ रखने के लिए निम्न तरीके के उपाय कर सकते हैं। जैसे --
★ पौधे की गीली मिट्टी/मृदा को सुखाना (Drying Of Wet Soil Of Overwatered Potted Plant) :-
जल से भरे गमले की मिट्टी और पौधे की जड़ को सुखाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने घर पर रखे पुराने रद्दी अख़बार लें एवं उन अख़बारों को सूखी जगह पर अच्छे से बिछा लें। अब पौधे में जल की अधिकता या जलभराव से गीली हुई मिट्टी/मृदा व जड़ों को सुखाने के लिए गमले में से निकाले हुए पौधे को जमीन पर बिछाए अख़बारों पर रख दें व 10 से 11 घंटों के लिए उसे रखा रहने दें। यह बिल्कुल ध्यान रखे कि जड़ें न्यूज़ पेपर पर ही रखीं हो जिससे कुछ समय में पौधे की जड़ें आराम से सूख जायेंगी तथा मिट्टी/मृदा को गमले में ही सूखने के लिए रखा रहने दें।
★ पौधे की गीली जड़ों को बड़ी सावधानी से गमले से बाहर निकाले (Carefully take out the wet roots of the plant from the pot) :-
घर के बगीचे या गमले की दलदली मृदा को सुखाने के लिए, पौधे को आराम से जड़ सहित गमले से बाहर निकालें। यदि मिट्टी/मृदा में जल की अधिकता होगी, तो पौधा बड़ी आसानी से बाहर निकल जाएगा। अब आप अपनी अँगुलियों से जड़ों के आस पास की गीली मिट्टी/मृदा को निकाल दें तथा जितनी मिट्टी/मृदा आराम से निकल सके, उतनी ही मिट्टी/मृदा निकालें। ध्यान रखें कि, इस दौरान पौधे की जड़ों को कोई हानि न पहुंचे।
★ पौधों की क्षतिग्रस्त जड़ों को करें अलग यानी प्रून (Overwatered Plants Recover By Root) :-
पौधों की कटाई छंटाई (प्रूनिंग) के बारे में तो सभी लोग जानते ही हैं पर क्या आप यह जानते हैं कि रूट प्रूनिंग (root pruning) क्या है? हम आपको बता दें कि पौधे की जो जड़ें जल की अधिकता(जलभराव) या अन्य किसी कारण से सड़ या गल चुकी हैं, उन्हें काट कर अलग करना ही रूट प्रूनिंग कहलाता है। जड़ प्रूनिंग करने से पौधे में केवल स्वस्थ जड़ें ही बचती हैं, जिसे फिर से गमले में लगाने से पौधा जल्दी हरा भरा होने लगता है। स्वस्थ जड़ों की पहचान यह है कि, वे सफ़ेद एवं मजबूत होती हैं। इसके अतिरिक्त यदि पौधे में स्वस्थ जड़ें अधिक होगी, तो आपका पौधा फिर से पहले की तरह फल फूल सकता है।
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★ पौधे को उचित आकार के गमले या ग्रो बैग में करें ट्रांसप्लांट (Transplant the plant into an appropriately sized pot or grow bag) :-
बहुत अधिक जल से भरे गमले से पौधों को निकालकर किसी दूसरे गमले या ग्रो बैग में लगाएं। अन्य नए गमले या ग्रो बैग में पौधे को शिफ्ट करने के लिए फ्रेश व अच्छी जल निकास वाली पॉटिंग मिट्टी (potting soil) लें। मिट्टी/मृदा की जल निकासी में सुधार करने के लिए आप मिट्टी/मृदा में कुछ रेत भी मिला सकते हैं। गमले में मिट्टी/मृदा को डालने से पहले उसमें नीचे कुछ छोटे छोटे पत्थर या बजरी डालें, जिससे गमले या ग्रो बैग से जल निकासी अच्छे से और काफी आसानी से होती रहे।
ओवर वाटरिंग से बेकार हुए पौधों को ठीक होने में लगा समय (Over watered Plant Recovery Time) :-
ऊपर बताये गए तरीको को अच्छे से फॉलो किया जाए तो बहुत ज्यादा जल देने से खराब हुए पौधे 7 से 15 दिन में स्वस्थ होने लगते हैं, परन्तु यदि जल भराव से पौधा ज्यादा ही खराब हो चुका है तो उसे ठीक होने में थोड़ा और समय (लगभग 20 से 25 दिन) लग सकता है। ओवर वाटरिंग से खराब हुए पौधे को दूसरे गमले या ग्रो बैग में लगाने के बाद जल थोड़ा-थोड़ा डालें एवं पौधे लगे गमले की मिट्टी में जरूरत के अनुसार ही जल दें।
निष्कर्ष (Conclusion) :-
इस आर्टिकल में आपने जाना कि, पौधों में जल की अधिकता के लक्षण क्या हैं, एवं ओवरवॉटरिंग या अत्यधिक जल देने से मुरझाए हुए पौधे को ठीक कैसे करें व पौधों को जल देने का सही तरीका क्या है, और भी बहुत कुछ। हम आपसे आशा करते हैं यह आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया होगा। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हमारी साईट gardenglance.blogspot.com पर विजिट कर सकते हैं। इस आर्टिकल से सम्बंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, कृपया कमेंट में जरूर बताएं।
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