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ये पौधे जो कम पानी मिलने पर भी हरे भरे रहते हैं

These plants remain green even when there is less water

अपने देखा होगा कि कई लोगों को अपने घर पर पौधे लगाने का शौक होता है, लेकिन व्यस्त भरी जीवनशैली के कारण उन पौधों की देखभाल करने का समय ही नहीं मिल पाता है। व्यस्तता भरा समय या किसी अन्य कारण से कई बार पौधों को पानी देना तक भूल जाते हैं और पानी न मिलने के कारण पौधे सूख जाते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में विचार आता है यानी  सवाल उठता है कि क्या कुछ प्रकृति मे ऐसे भी पौधे होते हैं या प्रकृति ने ऐसे भी पौधों को बनाया है जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है? वैसे सही मायने मे देखा जाए तो ये पौधे तो प्रकृति की ही देन है जिससे हमे आक्सीजन तो मिलती ही है और साथ ही पर्यावरण की शुद्धता मे भी इन्ही पौधों का काफी अधिक योगदान है।


              हम आपको आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एलोवेरा(AloeVera), कैक्टस(Cactus), सकुलेंट्स(Succulents) आदि कम पानी में होने वाले पेड़ पौधे हैं। इन पौधों को अगर कुछ दिनों (लगभग 1 से 2 हप्ते) तक पानी न भी मिले तो भी ये सूखते नहीं है। आपको और हम सभी लोगों को इन्हीं कम पानी की जरूरत वाले पौधे उगाना चाहिए। कम पानी में उगने वाले पौधे कौन कौन से हैं? इसकी पूरी जानकारी के लिए आपको यह पोस्ट/आर्टिकल पूरा जरूर पढ़ना पढ़ेगा। कम पानी मे उगने वाले पौधे इस प्रकार है.... 





ऐसे पौधे जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है (Plants Which Require Less Water In India) :-

भारत मे ऐसे कई पौधे हैं जो कम पानी में भी अच्छे से पनप/उग सकते हैं। यहाँ नीचे कुछ पौधे के नाम बताये गये हैं, जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है और वे भारत के भिन्न भिन्न भागों में उगाए जा सकते हैं। पौधे के नाम जो कम पानी में उगते हैं इस प्रकार है..... 


◆  एलोवेरा (Aloe Vera)

◆  कैक्टस (Cactus)

◆  सकुलेंट्स (Succulents)

◆  कनेर (Oleander)

◆  जेड प्लांट (Jade Plant)

◆  स्नेक प्लांट (Snake Plant)

◆  जेडजेड प्लांट (Zz Plant)

◆  स्पाइडर प्लांट (Spider Plant)

◆  पीस लिली (Peace Lily)

◆  स्ट्रिंग ऑफ पर्ल (String Of Pearls)

◆  इंग्लिश आइवी (English Ivy)

◆  लैंटाना (Lantana)

◆  बोगनविलिया (Bougainvillea)

◆  रामबांस (Agave)

◆  बोस्टन फर्न (Boston Fern)

◆  फिलॉडेंड्रॉन (Philodendron)

◆  पोथोस (Pothos)

◆  चाइनीज सदाबहार (Chinese Evergreen)

◆  मनी प्लांट (Money Plant)

◆  बम्बू पाम  (Bamboo Palm)

◆  एरिका पाम (Areca Palm)

◆  रबर प्लांट (Rubber Plant)

◆  फिडल लीफ फिग (Fiddle Leaf Fig)

◆  क्रोटोन (Croton)

◆  ड्रैकैना (Dracaena)

◆  कलोंचे (Kalanchoe)

◆  पोनिटेल पाम (Ponytail Palm)

◆  एडेनियम (Adenium)

◆  एचेवेरिया (Echeveria)

◆  ग्रेप्टोपेटलम (Graptopetalum)

◆  लिथोप्स (Lithops)

◆  सीडम (Sedum)

◆  पोर्टुलाका (Portulaca)

◆  जरबेरा डेज़ी (Gerbera Daisy)

◆  चमेली (Jasmine)

◆  गुडहल (Hibiscus

◆  कोनफ्लावर (Coneflower

◆  कॉसमॉस (Cosmos

◆  जीनिया (Zinnia

◆  गोम्फ्रेना (Gomphrena

◆  गैलार्डिया (Gaillardia

◆  सेलोसिया (Celosia

◆  साल्विया (Salvia

◆  वर्बेना (Verbena

◆  ट्रम्पेट वाइन (Trumpet Vine)

◆  सेज (Sage

◆  लैवेंडर (Lavender)

(इसे भी पढ़े :- होम गार्डेन मे खरबूजे के पौधे को कैसे उगाएं.....) 





पौधों में बार बार जल डालने से बचने की टिप्स (Tips For A Drought Tolerant Garden) :-

अगर आप गार्डनिंग के शौक रखते है, लेकिन पौधों को बार बार पानी देने की परेशानी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आगे आपके लिए कुछ जरूरी तरीके बताएं गए हैं जो इस प्रकार है.... 


●  पौधों की मल्चिंग करें (Mulching Drought Tolerant Plants ) :-


गीली घास, पुआल, कोकोपीट, सूखे पत्ते आदि चीजों से पौधों की मिट्टी को ऊपर से ढकने से मिट्टी में काफी अधिक देर तक नमी बनी रहती है और आपको बार-बार पानी डालने की जरूरत नहीं पढ़ती है।




●  ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करें (Use Drip Irrigation System In Garden) :-

यह एक स्वचालित पानी प्रबंधन प्रणाली है जिसमें पाइप और ट्यूब ड्रिपर्स के माध्यम से पौधों के नीचे पानी सिरपाया जाता है। इससे पानी का विवादित उपयोग होता है और पानी की बर्बादी को कम किया जा सकता है। अगर आपके गार्डन में बहुत अधिक पौधे लगे हैं, तो उन पौधों में इस सिंपल से ड्रिप इरीगेशन सिस्टम  लगाकर आप बार बार पानी देने में होने वाली परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं।




●  वाटरिंग ग्लोब का उपयोग करें (Use Watering Globe In Garden) :-


पौधे जो कम पानी में उगते हैं, उन पौधों के लिए वाटरिंग ग्लोब एक नया गार्डेन टूल है, जिसमें पानी भरकर उसे उल्टा मिट्टी में लगा दिया जाता है। इस गार्डेन टूल में से जल बूंद बूंद करके निकलता रहता है और इस तरह अपने आप ही पौधों की मिट्टी को पानी (जितनी जरूरत होती है) मिलता रहता है।





●  वाटर क्रिस्टल का उपयोग करें (Use Water Crystal In Plants) :-

वाटर क्रिस्टल एक रंग बिरंगी जैली होती हैं, जिनमें जल को अवशोषित करने की अच्छी क्षमता होती है। इन्हें मिट्टी में मिला दिया जाता है। जैसे ही मिट्टी में जल दिया जाता है, तो ये जेली मिट्टी से जल को अवशोषित कर लेती हैं और धीरे धीरे मिट्टी को देती रहती है।





●  पौधों की जरूरत के आधार पर पानी दें (Water The Plants As Per Their Requirement) :-

पौधों की जरूरत के आधार पर ही पानी दें। अलग-अलग प्रकार की पौधों की आवश्यकताएँ भिन्न भिन्न हो सकती हैं।





●  मूल्यांकन करें (Do The Evolution) :-

बगीचे मे लगे पौधों की स्थिति का नियमित/रोजाना रूप से मूल्यांकन करें। यदि मिट्टी सूख रही होती है, और पौधे सुख रहे होते हैं, तब आप समझ जाए कि उन्हें पानी देने का समय है।





●  मूल्यांकन के लिए मिट्टी की जाँच करें (Check soil for evaluation) :-  

मिट्टी की नमी की जाँच करने के लिए आप अपने उंगलियों को मिट्टी में दबाकर देखें। यदि मिट्टी क्लंपी होती है और आपकी उंगलियों में मिट्टी का अच्छा हिस्सा लगा रहता है, तो बिल्कुल पानी देने की आवश्यकता हो सकती है।





●  जल संचालन की अच्छी प्रथा (Good Water Management Practices) :-

एक अच्छे जल संचालन योजना का अनुसरण करने से बार-बार पानी डालने की जरूरत को कम किया जा सकता है। इसमें समय पर जल देने की तकनीक, समय पर जल की आपूर्ति की सुनिश्चित करना और पौधों की जल आवश्यकता को विश्लेषण करना आदि शामिल होता है।





●  बारिश का पानी इकट्ठा करना (Rainwater Harvesting) :-

बारिश के जल को एकत्रित करके और उसका उपयोग करके पौधों को जल प्रदान करने में मदद मिलती है। जिसके कारण पौधों को बार बार जल नही देना पढ़ेगा। 





●  बगीचे का स्थान चयन (Site Selection) :-

पौधों के लिए स्थान का चयन करते समय, वायुमंडलीय प्राप्ति, सूर्य की रोशनी और पौधों की जल आपूर्ति को ध्यान में रखना अतिमहत्वपूर्ण है, ताकि पानी की बर्बादी को कम किया जा सके और बार बार जल को न देना पढ़े।

(इसे भी पढ़े :-  गार्डनिंग के लिए बेस्ट हैण्ड ग्लव्स और उनके उपयोग....) 





●  स्वावलंबी पानीकरण (Self-Watering System) :-

यह एक आपूर्ति प्रणाली होती है जिसमें जल को एक संग्रहण टैंक में जमा किया जाता है और पौधों को जरूरत के अनुसार स्वचालित रूप से जल पहुंचाया जाता है।





●  सूखा संकेतक (Moisture Sensor) :-

आप सूखे संकेतक का इस्तेमाल करके अपने पौधों की मिट्टी की नमी की स्तिथि को माप सकते हैं और तब ही जल दें जब यह जरूरत हो।





●  पौधों का बुनाई में विशेष ध्यान (Special attention to plants in weaving) :-

पौधों को साइज और स्प्रेड के हिसाब से सही तरीके से बुनाने से जल की बचत हो सकती है, क्योंकि यह उनके निर्वाचन स्थान को कम करता है और अपशिष्ट को बढ़ावा देता है।


(ये तरीके आपके पौधों को सही तरीके से जल देने में सहायता कर सकते हैं और जल की बचत करने में मदद कर सकते हैं। आपके पौधों की विशेष जरूरतों और आपके इस्तेमाल के हिसाब से सबसे उपयुक्त तरीका चुनना महत्वपूर्ण होगा।) 



निष्कर्ष (conclusion) :-

इस पोस्ट में कम जल की जरूरत वाले पौधों के नाम और उन्हें उगाने की कुछ तरीके के बारे बताया गया है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके कई सवाल जैसे कि कौन से पौधे कम जल में उगते है, किन पौधों को सबसे कम जल चाहिए, कम जल में होने वाले पेड़ पौधे कौन से हैं? के जबाव मिल जायेंगे। अगर यह पोस्ट आपके काम आयी हो तो इसे अपने अन्य गार्डनिंग करने वाले मित्रों के साथ भी शेयर जरूर करें।इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हमारी साईट  gardenglance.blogspot.com पर विजिट कर सकते हैं। इस आर्टिकल से सम्बंधित आपके जो भी सवाल या सुझाव हों, कृपया कमेंट में जरूर बताएं।

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